बिश्नोई समाज 29‌ नियम‌ व्याख्या | व्यर्थ का विवाद न करना


बिश्नोई समाज 29‌ नियम‌ व्याख्या :  व्यर्थ का विवाद न करना 





व्यर्थ का वाद-विवाद नहीं करना चाहिए किसी तत्व के सूक्ष्म विचारों द्वारा तह तक पहुँचना वाद कहलाता है जो अच्छा भी कहा जा सकता है। ऐसी तत्व अन्वेषण विषय वार्ता तो होनी चाहिए। परस्पर वार्ताओं द्वारा ही तत्वकी खोज की जा सकती है। ऐसे विचार करने वाले जनसमूह
को तो संगोष्ठि कहते हैं किन्तु इसके अतिरिक्त भी कुछ लोगों का ऐसा भी विचार होता है कि सामने वाले जन को अपनी वाक तर्क शक्ति के द्वारा किसी प्रकार से पराजित कर
दिया जाय। या कुछ लोग स्वयं जानते हुए भी दूसरे की परीक्षा लेने के लिए उससे पूछेंगे तथा ऐसी बिना सिर पैर की बातें जिनका कोई मतलब ही नहीं होता और कुछ लोग तो कुछ न
जानते हुए भी पांच सात इकठ्ठे होकर मूर्खता का परिचय देते हुए जिद ही करेंगे।
वहाँ पर लड़ाई-झगड़े, मनमुटाव बैर द्वेष भावादि अनेक प्रकार की बीमारियाँ खड़ी हो जाती हैं यही सभी कुछ व्यर्थ के वाद-विवाद के अंतर्गत ही आता है। शब्दवाणी में कहा है -।।वाद-विवाद फिटकार प्राणी, छाडो मन हट मन का भाँणों। वाद- विवादेदाणू खीणा, ज्यूं पहुपे खीणा भंवरी भंवरा।। मनुष्य जिद या वाद भी इसीलिए ही करता है कि मैं ही बड़ा हूँ और ज्ञानी हूँ तथा मेरी बात ही चलनी चाहिए क्योंकि मुझे अच्छी लगती है। यदि उसकी मिथ्या बात का कोई खंडन कर दे तब वह तीलमिला उठेगा, कभी भी उसके प्रतिवाद को सहन नहीं कर सकेगा। यही तो ईर्ष्या, द्वेष और प्रेम बंधन टूटने का कारण है। व्यर्थ के विवाद में निश्चित ही अमूल्य समय नष्ट होता है। उस समय का अच्छे प्रगतिशील कार्यों में सदुपयोग कर सकते हैं। अच्छे विचारों का आदान-प्रदान द्वारा ज्ञान की वृद्धि कर सकते हैं। इसलिए बुद्धि का सदुपयोग करें, व्यर्थ के झगड़े में
पड़कर ज्ञान का दुरुपयोग न करें। ।।विद्या विवादायं धनं मदाय, शक्ति परपीड़नाय। खलस्य साधोर्विपरीतमेतत ज्ञानाय च रक्षणाय।। दृष्ट आदमी के पास आयी हुई विद्या का व्यर्थ में विवाद करके दूरुपयोग करेगा। ऐसे ही धन से मदमस्त होगा और शरीर शक्ति से दूसरों को कष्ट ही देगा किन्तु सज्जन के पास यदि विद्या होगी तो उससे ज्ञान देगा, धन होगा तो दान देगा और शक्ति होगी तो पीड़ित दुःखी प्राणी की रक्षा करेगा।



साभार: जम्भसागर
लेखक: आचार्य कृष्णानन्द जी
प्रकाशक: जाम्भाणी साहित्य अकादमी 



अमावस्या का व्रत रखना : 29‌ नियम बिश्नोई समाज

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