थाट को अमर रखना : बिश्नोई समाज के 29 नियम | 29 Rules Of Bishnoi
बिश्नोई समाज के 29 नियम : तेईसवां नियम ( अमर रखावै थाट ) भावार्थ सहित
थाट को अमर रखना : प्रारम्भ में बिश्नोई समाज के लोग गाय-भैंस के साथ-साथ बकरियां भी पालते थे। भेड़- बकरियों के पालने के कारण उनके साथ मेढ़ों एवं बकरों का बढ़ना भी स्वाभाविक था। भेड़-बकरियां तो बहुत बड़ी मात्रा में साथ-साथ रह सकती है परन्तु मेढ़ों-बकरों को बड़ी मात्रा में एक साथ रखना कठिन था। युग और आर्थिक दृष्टि से भी ये इतने उपयोगी नहीं थे। इसलिये इनको लोग कसाइयों को बेच देते थे और कसाई इनको मार-काटकर अपनी जीविका चलाते थे।
इस तरह से बिश्नोइयों से अप्रत्यक्ष रूप से जो जीव-हत्या होती थी, उसी को रोकने के लिये थाट बनाने की व्यवस्था की गई थाट में रहने का बकरों के चारे-पानी की व्यवस्था समाज की ओर से होती थी इनको कोई मार नहीं सकता था, अपनी ही मौत मरते थे। बाद में विश्नोइयों ने भेड़-बकरी पालनी बंद कर दी। अब केवल गाय-भी पालते हैं। जीव दया की भावना के कारण इस नियम का पालन करना आवश्यक है।
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