झूठ नहीं बोलना : जाम्भोजी के 29 नियम

झूठ नहीं बोलना : जाम्भोजी के 29 नियम


बिश्नोई समाज का पंद्रहवां  नियम : झूठ नहीं बोलना चाहिए

झूठ नहीं बोलना चाहिए: सदा सत्य बोलना चाहिए। अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए लोग झूठ बोल देते हैं। इससे दूसरे का कार्य बिगड़ जाता है जहाँ पर स्वार्थता, लोभ, कुटिलता का व्यवहार अधिक होगा। वह झूठ बोलने से ही हो पाता है। झूठ बोलकर धोखा बार- बार नहीं दिया जा सकता। एक दोबार झूठ बोलकर भले ही स्वार्थ सिद्धि कर ले परंतु बार- बार ऐसा नहीं हो सकेगा क्योंकि उस व्यक्ति पर विश्वास सदा के लिए ही समाप्त हो जाता है तथा विश्वास समाप्त होने से लोक में इज्जत, व्यवहार, मान्यता सभ कुछ समाप्त हो जाता है। इसीलिए सत्य का पालन दृढ़ता से करना चाहिए। सत्य बोलना ही सभी धर्मों का मूल है। सत्य ऊपर ही संपूर्ण पृथ्वी टिकी हुई है। सत्य से ही पवन चलता है, सुर्य तपता है, सत्य से ही संसार का संपूर्ण व्यवहार चलता है। जिन लोगों ने सत्य धर्म का पालन किया, उनकी ही महिमा उद्यपर्यंत गायी जाती है वे ही सम्माननीय महापुरुष हैं। कहा भी है- ।। सत्यमेव जयते नानृतम् पंथा।। सदा सत्य से ही विजय होती है, झूठ से कदापि नहीं। ।। सत्यंवद धर्म जर।। सत्य ही बोलें, धर्म का ही आचरण करें, ऐसी आज्ञा वेद भी देता है यही आज्ञा गुरु जम्भेश्वरजी ने इस नियम द्वारा दी है जो सदा ही पालनीय है।




साभार: जम्भसागर
लेखक: आचार्य कृष्णानन्द जी
प्रकाशक: जाम्भाणी साहित्य अकादमी 


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