Bishnoi 29 Rules : तेरहवां नियम (चोरी नहीं करना ) भावार्थ सहित
चोरी नहीं करना : Bishnoi 29 Rules
चोरी नहीं करना : किसी दूसरे के धन को छिपकर ले जाने को सामान्य रूप से चोरी कहते हैं। अनधिकार किसी अन्य के कमाये हुए धन-दौलत को अपना मान कर छीन लेना, उसे उस आवश्यक धन से वंचित कर देना यह बहुत कष्टदायी कर्म है। दूसरों को उन आपके कर्मों से कष्ट पहुँते वही तो पाप होता है। इसी चौय्-र्य कर्म से पाप होता है तो कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। चोरी न करना यह नियम सभी जनसाधारण के ऊपर लागू होता है। इसीलिए सरकार ने भी कानून बना रखा है चोरी करने वाले को दंडित करती है। यदि इस नियम का पालन न किया जाये तो सभी और अव्यवस्था फैल सकती है। कहीं किसी का भी जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता। कोई तो धन कमायेगा तथा अन्य बलिष्ठ जन उसका हरण कर लेगा, इससे समाज नहीं चल सकेगा। इसीलिए सभी जनसाधारण के लिए संसार में सुखपूर्वक जीवन व्यतीत के लिए तथा परलोक सुधार इन दोनों के लिए इन नियमों का पालन करना परमावश्यक है।
साभार: जम्भसागर
लेखक: आचार्य कृष्णानन्द जी
प्रकाशक: जाम्भाणी साहित्य अकादमी
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