भांग न पीवें : बिश्नोई समाज के 29 नियम

भांग न पीवें : बिश्नोई समाज के 29 नियम

बिश्नोई समाज के 29  नियम : भांग न पीवें (भावार्थ सहित)


भांग न पीवें :

भांग कदापि नहीं पीना चाहिए। भांग भी एक प्रकार का जहर है। शरीर को धीरे-धीरे काटता है। भांग पीने वाले को तो ऐसा ही मालूम पड़ता है कि मैं स्वस्थ हो रहा हूँ कि मोटा हो रहा हूँ। किन्तु वास्तविकता से वह बहुत दूर होता है। शिवजी का नाम लेकर साधना भजन करने वाले भी भांग को पवित्र मानकर पीते हैं। वहाँ पर नाम साधना का लेते हैं और भांग के नशे में धुत रहते हैं। इसी प्रकार से अपने जीवन को बरबाद करते देखे गए हैं।

 जीवन की वास्तविकता को नशा थोड़ी देर के लिए भूला सकता हैं जिसका यह तात्पर्य तो नहीं होता कि आप सदा के लिए ही दुःखों से छूट गए हैं। शिवजी की बराबरी करना तो ढोंग मात्र ही है। केवल तम्बाकू भांग से शिवजी नहीं बना जा सकता। उसके लिए शिव जैसी तपस्या करनी होगी। भांग पीने वाले अर्ध विक्षिप्त तो होते ही हैं कभी-कभी उन पर अधिक भांग सेवन से पूर्णतया पागलपन आ जाता है। ऐसे समय में जीवन से भी हाथ धो बैठते हैं।

 "भांग भखंत ध्यान ज्ञान खोवंत, यम दरबार ते प्राण रोवन्त" 

गोरखवाणी" 

भांग पीने से ज्ञान ध्यान, नष्ट हो जाते हैं तथा इस जीवन में दुःख उठाते हुए मृत्यु पर यमराज के दूतोंद्वारा मार पड़ने पर फिर प्राण रोयेंगे। इसलिए कभी भी भांग नहीं पिनी चाहिए।


साभार: जम्भसागर
लेखक: आचार्य कृष्णानन्द जी
प्रकाशक: जाम्भाणी साहित्य अकादमी 


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